Thursday, 28 July 2016

नैनो थर्मामीटर : विश्व का सबसे छोटा थर्मामीटर

NANO THERMOMETER
नैनो तकनीक आज विज्ञान जगत में एक क्रांतिकारी संकल्पना के रूप में उभरी है जिसने विज्ञान के क्षेत्र में अनंत संभावनाओं के द्वार खोल दिए हैं। नैनो का अर्थ होता है ‘अत्यंत सूक्ष्म’। 1 नैनोमीटर एक इंच का 2.54 करोड़वां हिस्सा होता है। आज पूरे विश्व में वैज्ञानिक नैनो तकनीक के विकास हेतु नए और बेहतर मार्गों की तलाश में लगे हैं ताकि नैनो तकनीक का इस्तेमाल स्तन कैंसर की पड़ताल से लेकर बेहतरीन टच-स्क्रीन के निर्माण तक सभी वस्तुओं में किया जा सके। किंतु इसमें सबसे बड़ी बाधा यह है कि इतने छोटे स्तर पर तापमान में परिवर्तन की निगरानी करना लगभग असंभव है क्योंकि अभी इस कार्य हेतु उपलब्ध सभी उपकरण अत्यंत बड़े हैं। इस समस्या के समाधान हेतु वैज्ञानिकों ने दुनिया के सबसे छोटे प्रोग्रामेबल नैनो थर्मामीटर का आविष्कार किया है।
  • मॉन्ट्रियल विश्वविद्यालय (कनाडा) के वैज्ञानिकों ने यह खोज की है।
  • इस नैनो थर्मामीटर में वास्तविक DNA अणु का इस्तेमाल किया गया है।
  • यह उपकरण मानव के बाल से भी 20 हजार गुना छोटा है।
  • इस थर्मामीटर की सहायता से नैनो स्केल पर तापमान का मापन संभव हो सकेगा।
  • वैज्ञानिक खोजों में यह पता चला है कि प्रोटीन RNA तथा DNA अणु, जैव प्रणालियों में एक नैनो थर्मामीटर की भांति कार्य करते हैं तथा एक निश्चित तापमान पर मुड़ने (Fold) तथा फैलने (Unfold) के द्वारा तापांतर को प्रदर्शित करते हैं।
  • DNA रसायन विज्ञान अपेक्षाकृत सरल और प्रोग्राम किए जाने योग्य है। अतः इनका इस आण्विक थर्मामीटर में प्रयोग अधिक उपयुक्त पाया गया।
  • उल्लेखनीय है कि DNA (डीऑक्सीराइबो न्यूक्लिक एसिड) सभी जीवों के गुणसूत्रों में पाया जाने वाला आनुवंशिक सूचनाओं का वाहक होता है।
  • DNA में मूलतः चार न्यूक्लियोटाइड्स होते हैं-एडेनिन (A), थायमिन (T), साइटोसिन (C) तथा गुआनिन (G)।
  • DNA में ये न्यूक्लियोटाइड्स आपस में बंध बनाते हैं, जैसे-A तथा T आपस में कमजोर बंध जबकि C तथा G आपस में मजबूत बंध बनाते हैं।
  • इस सरल डिजाइन के नियमों का उपयोग करके एक ऐसा सरल मैकेनिज़्म बनाया गया जो कि दिए गए तापमान पर DNA अणु के मुड़ने तथा फैलने पर विवश कर देता है।
  • इन DNA संरचनाओं में प्रकाशीय संवाददाता (Optical Reporters) को शामिल करके 5 नैनो मीटर चौड़े थर्मामीटर बनाए जा सकते हैं जो कि तापमान क्रियाविधि के रूप में आसानी से ग्राह्य संकेतक (Signals) उत्पन्न कर सकते हैं।
  • नैनो थर्मामीटर यह पता लगाने में सहायक सिद्ध होगा कि-
    (i) क्या जिस प्रकार शरीर का तापमान 37o सेल्सियस होता है उसी प्रकार शरीर की प्रत्येक कोशिका के भीतर नैनो स्केल पर तापमान में अंतर पाया जाता है?
    (ii) क्या मानव तथा लाखों वर्षों में प्रकृति द्वारा विकसित नैनोमीटर तथा नैनो मशीन भी उच्च दर पर कार्य करने पर अत्यधिक गर्म हो सकते हैं?
    निकट भविष्य में अब इस बात की प्रबल संभावना है कि DNA आधारित इस नैनो थर्मामीटर का उपयोग इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में लगाकर स्थानीय तापमान में परिवर्तन की निगरानी हेतु किया जाए।

1 comment: